हाय_रे_नौकरी .नौकरी के लिए घर छोड़ .. शहर पढने जाते है ... अपना सब कुछ छोड़ ..आते है .. . जो

Discussion in 'Banking' started by Jignesh Patel, Oct 4, 2017.

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  1. Jignesh Patel

    Jignesh Patel New Member

    हाय_रे_नौकरी .नौकरी के लिए घर छोड़ .. शहर पढने जाते है ... अपना सब कुछ छोड़ ..आते है .. . जो तकिये के बिना कहीं… भी सोने से कतराते थे…. . आकर कोई देखे तो वो… कहीं भी अब सो जाते हैं…. . खाने में सो नखरे वाले.. अब कुछ भी खा लेते हैं…. . अपने रूम में किसी को… भी नहीं आने देने वाले… अब एक बिस्तर पर सबके… साथ एडजस्ट हो जाते हैं…ैं.!!. घर को मिस करते हैं लेकिन… कहते हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ’…. सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले…. . . अब कहते हैं ‘कुछ नहीं चाहिए’… की जरूरत में…. . वो घर से अजनबी बन जाते ह. बना बनाया खाने वाले अब वो खाना खुद बनाते है,. माँ-बहन-बीवी का बनाया अब वो कहाँ खा पाते है।. कभी थके-हारे भूखे भी सो जाते हैं।। मोहल्ले की गलियां, जाने-पहचाने रास्ते, जहाँ दौड़ा करते थे अपनों के वास्ते,,, माँ बाप यार दोस्त सब पीछे छूट जाते हैं तन्हाई में करके याद, आँसू बहाते है. . नई नवेली दुल्हन, जान से प्यारे बहिन- भाई, छोटे-छोटे बच्चे, चाचा-चाची, ताऊ-ताई , सब छुड़ा देती है साहब, ये रोटी और कमाई। मत पूछो इनका दर्द वो कैसे छुपाते हैं,, . नौकरी के लिए घर छोड़ .. शहर पढने जाते है ... अपना सब कुछ छोड़ ..आते है .. Copied from UPSC group
     
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